Friday, July 26, 2013

है युवक तो आगे बढ़


रोटी कपड़ा और मकान तो
हर कोई पा जाता है ,
बड़ी सोच रख, बड़ा करने में
बन्दे तू क्यूँ सकुचाता  है?

है युवक तो आगे बढ़
छू ले कोई नई बुलंदी,
उखाड़ फ़ेंक आलस को अपने
समझ समय की पाबंदी।

अपने भीतर झाँक रे पगले
है प्रतिभा का धनवान तू ,
वर्तमान, भविष्य मुट्ठी में तेरे
है खुद अपना भगवान  तू।

पग बढ़ा थाम ले राह नई
ज़ीवन  पगडंडी का नाम है ,
मंजिल तेरी दूर खड़ी है 
पाना उसे तेरा काम है।

किनारे पे खड़ी कश्ती 
रही है कब से तुझे निहार, 
लेकर के पतवार हाथ में
पानी में दे इसे उतार।


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